मुझे तो समृद्ध भारतवर्ष चाहिए
न कोई मरे भूख से ,
न कोई रहे बेकार
और न ही कोई अपकर्ष चाहिए/
मुझे तो समृद्ध भारतवर्ष चाहिए //
तोड़ दो दीवारें जाति-पाति की
बने सभी का धर्म मानवता,
इसमे न कोई बेकार का संघर्ष चाहिए /
मुझे तो समृद्ध भारतवर्ष चाहिए //
हो कल्याण मानवता का
विकसित हो सभी जन -जन ,
इसमे अपनी सभ्यता और संस्कृति का मर्म चाहिए /
मुझे तो समृद्ध भारतवर्ष चाहिए//
नहीं अपनाना हमें विकास माडल
चीन और अमरीका का,
हमें अपनी ही मिट्टी से अपना उत्कर्ष चाहिए/
मुझे तो समृद्ध भारतवर्ष चाहिए//
"लाल बहादुर पुष्कर"
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