कोसी नदी की बाढ़ .......
आज खुशी के मारे पागल है, उसे खेत के लिए पानी जो मिल गया, मानो सारी खुशियों का खजाना मिल गया, बड़ी मिन्नतें की थी जो कि मिले उसे पानी उसके धान के लिए लो उसे समय पे, मिल गया सारी उम्मीदे अब पूरी होंगी, ऐसा सोचा उसने, आखिर उसकी जाती हुई फसल जो बच गयी, अब तो वो सपने बुनने लगा और लगाने लगा हिसाब, अबकी बरस मुक्त हो जायेगा सभी के कर्जो से और न उसे देगा कोई गाली और ना ही दिखायेगा रुआब अबकी बरस तो वह घर भी छवायेगा, जिससे ख़त्म हो घर की सीलन, छुटकी भी अब जवान हो चली उसके भी हाथ पीले कराएगा, एक बार हो जाये छुटकी की शादी तो वह गंगा नहायेगा लेकिन उसे क्या था मालूम एक दिन अचानक टूटेगा उस पर पहाड़ तभी आ गयी कोसी नदी की बाढ़ देखते ही देखते भर गया पानी से खेत और उसकी आँख उसके अरमानो पर फिर गया था पानी आह!! अब वो जाये कहाँ ,,,,,,,,