- Get link
- X
- Other Apps
डरना, सहमना चीखना चिल्लाना पीढ़ियों की विरासत को पल-पल में भुनाना घुट-घुट के मरना और उसे अपनी नियति बताना बार-बार झगड़ना दबी कुचली जिंदगी से बाहर निकलने के लिए यही दास्तान बिखरा गुल्मे-समाज में ,,,,,,,,,,,,,,लाल बहादुर पुष्कर
Comments
Post a Comment