चलो एकांत में चलते हैं

चलो एकांत में चलते हैं 
कुछ देर पैदल ही सही 
भले उजाला न हो वहां 
अँधेरे में ही चलते हैं 
चलो एकांत में चलते हैं 
बहुत घूम चुके इस चकाचौंध की रौशनी में 
अब अँधेरे में ही घुलते है 
चलो एकांत में चलते है
क्यों न करे , हम अँधेरे का ही चुम्बन 
लेकर बाँहों में सो जाएँ उसे, 
आखिर 
अँधेरे से ही रोशनी निकलते है
चलो एकांत में चलते है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,लालू  

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