न कुछ में जीते हैं

अपना सब कुछ सौंपकर 
'सब कुछ' को,
चलो,  
न कुछ में जीते हैं 
बहुत हो चुका
मैं, मेरा, तुम्हारा 
और अपनेपन का दिखावा 
चलो 
न कुछ में जीते हैं ,,,,,,,,,,लालू  

Comments

  1. बहुत प्रभावी रचना , बधाई.


    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें.

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