अपनापन

मै बहुत ऊँचा ,बहुत ऊँचा बन जाता हूँ 
मेहनत के बल पर अनंत शिखरों कों पाना लेना चाहता हूँ 
लेकिन एक शर्त है इसकी 
हे प्रभु, 
मै जुड़ा रहूँ अपनी  जड़ो से 
बस यही कामना चाहता हूँ 
न हो सिर्फ बसंत बहार का मौसम 
और न ही पतझड़ का रूखापन ,
मै तो सिर्फ अपनेपन का सदाबहार मौसम चाहता हूँ 
भूलकर भी न पैदा हो अनदेखेपन का भाव मन में ,
हे प्रभु ,
गैरो कों भी गले लगा सकूँ ,
बस इतना सा भोलापन चाहता हूँ //
                                                          "लाल बहादुर पुष्कर" 

अपनापन 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog