कुछ तो सीखें

आखिर,
वृक्षों ने कब किया मना 
फल देने से,
अरे,
वे बेचारे तो 
स्वयं  झुक जाते है
पर,
किसी का झुक जाना 
उसकी बुश्दिली नहीं होती
बल्कि,
उसके बड़ेपन का होता है प्रतीक
आखिर,
हम क्यों मिटा रहे 
उनकी हस्ती को ,
जिसे उन वृक्षों ने बड़ी तपस्या से पाया है 
उनके झुकने से अगर,
हम कुछ सीख सके
तो सीखे,
नहीं तो 
खत्म हो जायेंगे धीरे-धीरे,
वे सभी उदाहरण
जो देते हैं सीख 
मानव को,,,,,,,,,,,,,
                                 "लाल बहादुर पुष्कर"      

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